सेहत के लिए हानिकारक है मोमोज
भागदौड़ से भरी इस दुनिया में लोगों को हर चीज की जल्दी रहती है। काम हो या खाना, अब सब कुछ फास्ट हो गया है। व्यस्तता से भरे इस जीवन में अब लोगों के खाने की आदतें भी काफी बदल चुकी हैं। मौजूदा समय में हर कोई अधिकतर समय घर से बाहर बिताता रहा है। ऐसे में फास्ट फूड और बाहर का खाना लोगों के चयन का दहस्सा बन चुका है। आजकल लोगों में चाइनीज़ फूड…पिज्जा, बर्गर, नूडल्स खाने की पहली पसंद बन जा रही है। इन्हीं फास्ट फूड की दुनिया में लोगों के बीच मोमोज़ को लेकर अलग ही लोकप्रियता देखने को मिल रही है। बच्चों से लेकर बड़ों तक मोमोज़ इन दिनों हर किसी की पसंद बना हुआ है। देश के हरेक चौराहे पर मोमोज़ की दुकानें और खरीददारों की भीड़ दिखाई देती है।
मोमोज चीनी, तिब्बती और नेपाली व्यंजनों में एक प्रकार का भाप से पका हुआ पकौड़ा है जो पड़ोसी देश भूटान और भारत में भी लोकप्रिय है। मोमोज नाम का ये फास्ट फूड, गोल या कुछ चपटे आकार में तैयार मैदा में कुछ शाकाहारी सब्जी या कुछ मांस भरकर परोसे जाते हैं। चीनी, तिब्बती और कुछ हद तक नेपाल की क्षेत्रीय जलवायु के अनुसार मोमोज व्यंजन उनके अनुकूल है क्योंकि वहां अत्यधिक ठंड होती है। परंतु भारत की क्षेत्रीय जलवायु में यह व्यंजन बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है। कुछ हद तक भारत में यह व्यंजन नेपाल में हुए गृह युद्ध के कारण विवेश हुआ। भारत में आजीविका की तलाश करने के लिए नेपाली निवासियों ने भारत में छोटी छोटी दुकानों, घरों से इन्हें बेचना शुरू किया। कुछ समय पश्चात ही भारत के उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में इनकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई। कुछ वर्षों के भीतर ही उत्तर भारत और दक्षिण भारत के सभी राज्यों में मोमोज का चलन और बढ़ गया। खासकर देश की राजधानी दिल्ली, चेन्नई, और बेंगलुरु शहरों में। परंतु क्या आप जानते हैं कि जिन मोमोज को आप चटकारे लेकर शौक से खाते हैं, वही मोमोज आपकी सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकते हैं? लस्फफ मोमोज ही नहीं, बल्कि उसके साथ लगने वाली चटनी भी आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। भले ही स्वाद में ये अच्छे हो, मगर ये हमारे लिए धीमे जहर के बराबर है। इसकी वजह से हम तमाम तरह की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। संभव है कि ये हमें इस कदर बीमार कर दे कि हमें हॉस्पिटलाइज़ होना पड़े।
मोमोज में हर चीनी फूड की तरह मोनो-सोडियम ग्लूटामेट (MSG) होता है, जो सिर्फ मोटापे का कारण बनता है, बल्कि अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे कि तनाव, पसीना, सिर में दर्द और मतली जैसी समस्याओं का कारण बनता है। और तो और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी जन्म देती है क्योंकि मोमोज को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए मोनो-सोडियम ग्लूटामेट (MSG) का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल होता है। मोमोज में इस्तेमाल होने वाले मैदे को ज्यादा सफेद करने के लिए उसमें एलोक्सान नामक रसायन का उपयोग होता है जो भारत में बैन है। बीते वर्षों में मद्रास हाई कोर्ट में इस संदेह में PIL भी दाखिल की गई थी। साथ ही मोमोज को बनाने के लिए मैदे का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में मैदे में भारी मात्रा में मौजूद स्टार्च से भी मोटापा बढ़ने का खतरा और भी बढ़ जाता है। मैदा खाने से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड में ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ सकता है। साथ ही मोमोज बनाने में इस्तेमाल रिफाइंड आटे में एजोडाइकार्बामाइड, क्लोरीन गैस, बेंजोयल पेरोक्साइड और अन्य ब्लीच जैसे रसायनों के जरिए ब्लीच किया जाता है। ये रसायन अग्नाशय को नुकसान पहुंचा सकते हैं और मधुमेह का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा मोमोज खाने से आपके ब्लड प्रेशर के लेवल पर भी गहरा असर होता है, जिसकी वजह से ये आपके हार्ट हेल्थ के लिए भी नुकसानदेह है। इसके अलावा ये मूड स्विंग्स को भी बदहाल करता है, जो कि आपको इमोशनल ईटिंग और मोटापे की ओर ढकेल सकता है। खाने में स्वादिष्ट लगने वाले मोमोज काफी सॉफ्ट भी होते हैं। दरअसल, इसे सॉफ्ट बनाने के लिए मैदे में एजोडाइकार्बामाइड और बेंजोइल पेरोक्साइड आदि मिलाए जाते हैं। यह दोनों पदार्थ सेहत के लिए काफी हानिकारक होते हैं और यह पैंक्रियास के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में पैंक्रियास को नुकसान होने पर इंसुलिन हार्मोन का संश्लेषण सही तरीके से नहीं हो पाता, जिससे लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। ज्यादा मोमोज खाने वालों में डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।
मोमोज बाहर से बहुत सुंदर और खाने में आपको जितना टेस्टी लग रहा हो परंतु इसके अंदर का भरा हुआ स्टफिंग उतना ही नुकसानदेह हो सकता है। खास कर नॉनवेज मोमोज में। दरअसल, कई शोध और रिपोर्टों में यह पाया गया है कि मोमोज के अंदर जो चिकन भरे होते हैं, विशेष रूप से जो रोड साइड सस्ते दुकानों में मिलते है, वे रोगग्रस्त और पहले से ही मृत चिकन के मांस से बने होते हैं, जो इन विक्रेताओं द्वारा बहुत सस्ते दर पर खरीदे और बेचे जाते हैं। दूसरी ओर वेज मोमोज की स्टफिंग को लेकर भी कई खबरे आती रही हैं। एक शोधकर्ता की रिसर्च में बताया गया है कि मोमोज के अंदर की सब्जियां खराब गुणवत्ता वाली और अनहेल्दी होती हैं। ऐसा इसलिए पहले तो ये लोग मोमोज बनाने के लिए खराब सब्जियों का चुनाव करते हैं और दूसरा इनकी साफ-सफाई अच्छी तरह से नहीं की जाती है। इसके कारण इसमें ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया होते हैं जो कि गंभीर संक्रमण और पेट से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मोमोज ज्यादतर गोभी से भरे होते हैं जो अगर ठीक से नहीं पकते हैं तो उनमें टेपवर्म के बीजाणु हो सकते हैं जो, मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं और वहां पर बढ़ सकते हैं। इसे खाने से आगे चलकर आपको मानसिक परेशानियां हो सकती है और ये खराब मस्तिष्क स्वास्थ्य का भी खतरा पैदा कर सकते हैं।
मोमोज के साथ अक्सर तीखी-लाल और सफेद चटनी भी दी जाती है, मोमोज को इसी चटनी के बिना खाना, इसके स्वाद को फीका कर देता है। जिसे लोग खाना काफी पसंद करते हैं। लाल मिर्च से बनी चटनी आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी हो सकती है, अगर नेचुरल मिर्च और सब्जियों से बनी हो तो । लेकिन इस चटनी में लाल मिर्च की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो आपकी सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं है। ज्यादा तीखा खाने से पाइल्स आदि की दिक्कत भी हो सकती है। वहीं सफेद चटनी में रिफाइंड ऑयल का अत्यधिक प्रयोग करना सेहत के लिए बहुत खतरनाक है । ये चटनी इस कदर तीखी और खतरनाक होती है कि इससे हमारे शरीर में कई नुकसान होते हैं । इन तमाम तरह के नुकसान में एक नुकसान बवासीर का भी शामिल है । इसके साथ-साथ पेट की पाचन-क्रिया भी काफी ज्यादा बुरी तरह प्रभावित होती है ।
मोमोज की ज्यादातर दुकानों में शाकाहारी लोगों की धार्मिक भावनाओं आहत होती हैं क्योंकि वह लोग जाने ना अनजाने या अपनी ही लापरवाही के कारण कुछ हद तक नॉनवेज मोमोस का सेवन भी कर लेते हैं । शाकाहारी लोगो को नॉनवेज मोमोज से परहेज होता है, वह उन्हें खाना भी पसंद नही करते इसलिए वह सिर्फ वेज मोमोस की डिमांड करते है परन्तु दुकानदार जानबूझकर कर एक बर्तन ही का उपयोग करते है। जिसमे एकसाथ वेज और नॉन वेज मोमोस को स्टीम (भाप) किया जाता है, फिर फ्राइड मोमोस के लिए एक ही कढ़ाई में बार बार उस जले हुए गंदे तेल में तल कर उसको बेचा जाता है । मोमोज को उठाने और रखने की प्रक्रिया में मोमोज कभी कभार टूट भी जाते हैं जिस कारण से वेज मोमोज में नॉनवेज मोमोज सम्मिलित हो जाते हैं। इन मोमोस के साथ एक सफेद रंग की चटनी भी दी जाती है जिसमे ज्यादातर खराब अंडों का प्रयोग किया जाता है । पर ग्राहकों को यह पता नहीं होता । दुकानदार भी जानबूझकर ग्राहकों को नहीं बताते। और तो और जहां पर यह मोमोज तैयार किए जाते हैं वहां पर एक ही मशीन के माध्यम से वेज और नॉनवेज मोमोज को तैयार किए जाते है। इस तरह से मोमोस दुकानदार शाकाहारी ग्राहकों की आस्था पर सीधा प्रहार कर है ।
वहीं दिल्ली पूसा में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट के एक अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली के ज्यादातर स्ट्रीट फूड्स में विशेष रूप से मोमोज में कोलीफॉर्म लेवल बहुत ज्यादा होता है। ये कोलीफॉर्म एक किस्म का बैक्टीरिया होता है, जो कि डायरिया के लक्षणों को पैदा करता है। कुछ फेमस रेस्टोरेंट में सब्जियां सड़ी गली और नॉन वेज मोमोस में कुत्ते का मीट पाया गया है । जिन्हें जान कर ही आपको इसे खाना चाहिए। तो मोमोज, खाएं पर संभाल के। मेरी राय यहीं है कि अच्छा यही होगा कि आप अपने घर में ही मोमोज बना कर खाएं। इसके लिए आप खुद से देख कर अच्छी गुणवत्ता वाली सब्जियों और पनीर आदि का इस्तेमाल करें। घर में धनिया की या मिर्च की चटनी तैयार करें और इसे खाएं। एक बात और कि मोमोज बनाने के लिए भाप से पकाने वाले तरीके का ही इस्तेमाल करें और मोमोज को फ्राई करके खाने से बचें। साथ ही रेगुलर मोमोज खाने की आदत न डालें और इसकी जगह कुछ अन्य हेल्दी रेसिपी ट्राई करें।
Site Credits: Kuldeep Baberwal
आपका द्वारा लिखे गए लेख बहुत ज्ञानवर्धक है । आपकी लेखनी बहुत सुंदर है। आपके द्वारा लिखे गए लेखों में सम्पूर्ण जानकारी और सरल भाषा मिलती है।
हे भगवान आज के बाद कभी मोमोस नही खाऊंगी ।
👌👌👌👌👌👌👍👍👍
Momos bahut gande hote hai. Saaf safai bilkul nahi hoti….bilkul bhi nahi kahne chhaiye
Momos saf sutre hone chahiye or Ghar me bna kar kha sakte hai bahar oli pta nhi kesa hota hai