dattopant-thengadi

भारतभूमि ने समय-समय पर ऐसे महापुरुषों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने कर्म, विचार और संगठन क्षमता से राष्ट्र की दिशा निर्धारित की है। इन्हीं महान विभूतियों में एक नाम अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है — दत्तोपंत ठेंगड़ी जी
राष्ट्र प्रथम” की भावना को जीवनभर जीने वाले ठेंगड़ी जी केवल संगठनकर्ता ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थ-चिंतन, श्रमिक संगठन, स्वदेशी दर्शन और आत्मनिर्भर भारत के शक्तिशाली प्रवक्ता थे।

प्रारंभिक जीवन : साधारण परिवार से असाधारण यात्रा
दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का जन्म 10 नवंबर 1920 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी गाँव में हुआ।
उनके पिता एक शिक्षक थे, और घर का माहौल राष्ट्रभक्ति एवं नैतिक मूल्यों से भरपूर था। बचपन से ही उनमें अध्ययन, नेतृत्व और संगठन क्षमता के गुण स्पष्ट दिखाई देने लगे थे।

नागपुर के मॉरिस कॉलेज से एमए और लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद भी उनका झुकाव साधारण रोज़गार की ओर नहीं बल्कि समाजकार्य की ओर था। छात्र जीवन से ही वे चिंतनशील, संवेदनशील और राष्ट्रहित के विषयों पर सक्रिय रहते थे।

विचार और दर्शन : स्वदेशी, समन्वय और आत्मनिर्भरता की धारा
दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ऐसे चिंतक थे जिन्होंने भारतीय आर्थिक मॉडल को गहराई से समझा और देश के सामने एक व्यवहारिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

उनके विचार तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित थे:

1. स्वदेशी

भारतीय उत्पादन, भारतीय कौशल और भारतीय संसाधनों के उपयोग का पक्ष।
आज “वोकल फॉर लोकल” और “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों की मूल भावना में भी उनके विचार झलकते हैं।

2. समन्वयवाद

विभिन्न विचारधाराओं के बीच सहयोग की भावना — न पूँजीवाद का अतिरेक, न ही समाजवाद का कठोर ढांचा।
वे मानते थे कि भारत का अपना अनूठा आर्थिक चरित्र है, जिसे भारतीय संस्कृति के अनुरूप ढालना आवश्यक है।

3. आत्मनिर्भरता

व्यक्ति, समाज और राष्ट्र — तीनों को आत्मनिर्भर बनाना।
उनके अनुसार आर्थिक स्वतंत्रता के बिना किसी भी राष्ट्र की राजनीतिक स्वतंत्रता अधूरी है।

संगठन-निर्माण में अद्वितीय योगदान
ठेंगड़ी जी का जीवन बहुआयामी था। वे न केवल दूरदर्शी विचारक थे, बल्कि कुशल संगठनकर्ता भी थे। उन्होंने ऐसे कई संगठनों की स्थापना की जो आज भारत में सामाजिक, आर्थिक और श्रमिक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

वे मानते थे कि संगठनों का निर्माण तभी संभव है जब कार्यकर्ताओं में राष्ट्रभावना, अनुशासन और निष्ठा हो — ये सभी गुण उन्होंने अपने कार्यकाल में स्वयं जीकर दिखाए।

संपादनकर्ता 

विकास खितौलिया

(लेखक एवं विचारक)

9818270202

Kuldeep Baberwal

Hi there! I'm Kuldeep Baberwal, a passionate technical lead in the IT industry. By day, I lead teams in developing cutting-edge solutions, and by night, I transform into a versatile blogger, sharing insights and musings on various topics that pique my interest. From technology trends to lifestyle tips, you'll find a bit of everything on my blog. Join me on my journey as I explore the endless possibilities of the digital world and beyond!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *